वह एक लविंग परिवार में बड़ी हुई थी। जब वह सिर्फ 5 साल की थी, तब उनके पिता का निधन हो गया था, जो बहुत दुखद था। लेकिन उन्हें अपने परिवार के प्यार से घिरा एक अच्छा और खुशहाल बचपन मिला। वह हमेशा बहुत प्रतिभाशाली थी और कई उपहारों से सुसज्जित थी।
जब वह बड़ी हुई, तो उसे एक दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा। हैदराबाद, पाकिस्तान में एक बड़ा भूकंप आया, जिससे उनका घर नष्ट हो गया। वह और उनका परिवार बच गए, लेकिन वे शरणार्थी बन गए, जिसका अर्थ होता है कि वे अपने घर को छोड़कर कहीं और नई जिंदगी शुरू करने के लिए मजबूर हो गए। यह उनके लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन वे मजबूत और आशावादी बनने की कोशिश की।
इन सभी चुनौतियों के बावजूद, यह लड़की की एक विशेष गुणवत्ता थी: वह शुरुआत से ही निःस्वार्थ थी। इसका अर्थ है कि वह हमेशा खुद से ज़्यादा दूसरों की चिंता करती थी। उसका एक गहरा आध्यात्मिक स्वभाव भी था। वह परमेश्वर में विश्वास रखती थी और प्रेम और दया की शक्ति में भी विश्वास रखती थी।
उसकी कुछ क्षमताओं में से एक खाना बनाना भी था, और वह स्वास्थ्यपरक और शुद्ध खाना बनाने में विशेष रूचि रखती थी जिसे सात्विक भोजन कहते हैं। यह खाना न केवल स्वादिष्ट था बल्कि शरीर और मन के लिए भी अच्छा था। इससे वह और उसका परिवार स्वस्थ और मजबूत रहते थे।
जब वह बड़ी हुई, तब यह लड़की एक बुद्धिमान और प्रबोधित व्यक्ति बन गई। उसके जीवन के अनुभव ने उसे कई मूल्यवान सबक सिखाए, और उसने उन्हें दूसरों की मदद करने के लिए उपयोग किया। वह एक आध्यात्मिक शिक्षक और एक मार्गदर्शक बन गई, जिन्हें अपनी ज्ञान और प्रेम की तलाश करने वाले कई लोगों ने खोजा। उसका जीवन एक गुलाब की तरह था जो नाखूनों में रहते हुए भी एक सुंदर खुशबू भेजता था, जहां भी वह जाती थी, वहां आनंद और शांति का प्रचार होता था।
दादा लक्ष्मी भगवान का जीवन बदल गया जब उन्होंने अपने गुरु, दादा भगवान से मिलने का मौका पाया, जब वह अपनी माँ के साथ सत्संग में थीं।
उनके उपदेशों ने उन्हें प्रेरित किया कि वह अपनी आंतरिक क्षमताओं को खोजे और आत्म-खोज के रास्ते पर उतरें। उनके मार्गदर्शन में, उन्होंने हिंदी के सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और दूसरों को मार्गदर्शन करना शुरू किया।
दादा लक्ष्मी भगवान की अनोखी स्टाइल थी, वे हमेशा सफेद कपड़े पहनती थीं और खुद पर कोई भी कृत्रिम चीज नहीं उतारती थीं। उन्हें लगता था कि असली खूबसूरती अंदर से आती है और विनम्रता एक महिला का असली आभूषण होती है।
अपनी निजी ज़िन्दगी में कई चुनौतियों का सामना करने के बाद, जिसमें उन्होंने अपने पति को खो दिया और संबंधों के कुछ मुश्किल समयों से गुज़रना पड़ा, दादा लक्ष्मी भगवान से कभी नहीं जुड़े और अपने गुरु से सीखी गई ज्ञान को फैलाते रहे। उन्होंने भगवद् गीता के सत्संग दिए और अपनी गुरु से सीखी हुई ज्ञान को दूसरों तक पहुंचाने का काम जारी रखा।
दादा लक्ष्मी भगवान एक असाधारण महिला थी जो एक साधारण, विनम्र और आध्यात्मिक जीवन जीती थी। वह अपने जीवन के दौरान नम्रता, आंतरिक सौंदर्य और शक्ति की गुणवत्ता को दर्शाते हुए, दूसरों को अपनी आंतरिक क्षमता की खोज करने और एक उद्देश्य और अर्थपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती थी।
शादी के बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया लेकिन उनके पति की दुखद मौत ने उन्हें केवल दो वर्ष बाद ही अकेले छोड़ दिया। इससे उन्हें अपनी बेटी को पालने की एकल जिम्मेदारी थी। इसके अलावा, उनकी सास ने उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
ऐसी कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद, दादा लक्ष्मी भगवान ने अपनी आध्यात्मिक अभ्यास और शिक्षाओं से शक्ति प्राप्त की। उन्होंने अलगाव को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया और अपने गुरु से सीखी गई ज्ञान को फैलाने के लिए भगवद गीता के सत्संग शुरू किए।
जब वह अपने आध्यात्मिक सफर पर आगे बढ़ती गई, तो दादा लक्ष्मी भगवान ने कई लोगों को प्रेरित किया। उनकी विनम्रता और अंतरंग सौंदर्य पर उनके बोल बहुत से लोगों के दिलों को छू गए। वह लोगों को याद दिलाती थी कि वस्तुओं का धन संबंध एक व्यक्ति के मूल्य का मापदंड नहीं होता और सच्ची ख़ुशी अंदर से ही प्राप्त होती है।
अपने धार्मिक पथ के प्रति अपने समर्पण से, दादा लक्ष्मी भगवान अस्थायित्व, दृढ़ता और अटल विश्वास की गुणवत्ता को अभिव्यक्त करती थीं। उन्होंने हमें सिखाया कि विपदा के सामने भी हम अपनी आंतरिक ताकत खोज सकते हैं और एक उद्देश्यपूर्ण और अर्थपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
गुरु माँ के पहले अनुभव
मैं वैष्णव देवी की शिष्या थी, मुझे एक दिव्य संवाद का अनुभव हुआ जो मेरे जीवन को परिवर्तित कर दिया।
मुझे दादा लक्ष्मी भगवान मिली और वह मेरे सामने वासुदेव के रूप में प्रकट हुई।
मन में तुरंत "हरे राम हरे कृष्णा" मंत्र उठा और मुझे अनुभव हुआ कि वह मेरी गुरु है।
दादा लक्ष्मी भगवान से मिलने से पहले, मैं एक आधुनिक, फैशन-फॉरवर्ड महिला थी। लेकिन हमारी मुलाकात के बाद, मेरी पूरी वस्तुता एक जटिल परिवर्तन से गुजर गई।
दादा लक्ष्मी भगवान ने मेरे जीवन में एक ऐसा रहस्यमय चमत्कार किया जिससे मेरा जीवन उनकी दिव्य कृपा के साथ उससे पहले कभी नहीं था।
Comments