केचरी मुद्रा: शरीर एवं मन को शांति और आध्यात्मिक जागरूकता का अनुभव

केचरी मुद्रा एक योगिक तकनीक है जो जीभ को नाक के ढीले भाग में घुमाकर उसे नाक की छिद्र में डालने के माध्यम से की जाती है। संस्कृत में "केचरि" अर्थात "अंतरिक्ष में चलना" होता है, जबकि "मुद्रा" शब्द "चिह्न" या "छाप" का अर्थ होता है।
केचरी मुद्रा का अभ्यास पाइनील और पीट्यूटरी ग्रंथियों को सक्रिय करने का काम करता है, जो दिमाग में स्थित होते हैं, और शरीर की ऊर्जा प्रणाली पर सीधा असर डालते हैं। इसके अलावा, इसे माना जाता है कि यह मन को शांत करता है, गहरी विश्राम को बढ़ाता है, और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।
केचरी मुद्रा एक उन्नत योगाभ्यास माना जाता है और इसे एक क्षमतिशाली योग शिक्षक के मार्गदर्शन और निरंतर अभ्यास के तहत सीखा और किया